Wednesday, December 28, 2011

कुछ और मांगने वक्त से परे...


मैं जब भी वक्त की ताक पर रखी अपनी किताबों पर जमी धूल पोंछता हूँ ,
लोग ढूंढ लेते हैं अपनी कहानी, मेरी किताबों में.... 
वक्त फिर सरक जाता है धूल के नीचे... 
कुछ और मांगने वक्त से परे...

Wednesday, December 21, 2011

वक्त ने.....


बचपन में मानता था माँ सिखाती है
फिर लगा पिताजी,
फिर गुरु और सबसे ज्यादा दोस्त,
किताबें, अपनी अक्ल, और ना जाने........
और आज जब इस उम्र के विश्लेषण से सार निकला तो पाया,
"जो भी सिखाया सब 'वक्त' ने ......  

Thursday, December 15, 2011

31 दिसंबर....

31 दिसंबर हम सब एक अनोखी रात बिताएंगे, अपनी बेबसी का जश्न मनाएंगे,
उस रात सपने खोखली बांसुरी बजायेंगे, हमें लगता है शायद हम, सब गम भूल पायेंगे,
बस इसी बात पर...


तमाशाइयों ने कल रात बहुत तालियाँ बजाईं
अंधेरों में छुपी अँगुलियों ने कठपुतलियाँ नचाईं
माचिस की तीलियां भीग गयी थीं बरसात में,
रात सिरहाने के पत्थर रगड़ थोड़ी आग जलाई,
उनके मकानों के शीशे बड़े मज़बूत हैं,
कौन जाने कब उन्होंने बंद कमरों में शहनाई बजाई,
वो यूं तो कभी मुफलिस ना हुए होते,
पड़ोस देखकर शायद चादर से बाहर टांग फैलाई,
नहीं बदलता हर साल कुछ भी आदमी के सिवा,
मुँह छुपाने के लिए ही शायद ये तारीख बनाई... 

Wednesday, December 14, 2011

वो ख्वाब में आये तो ठीक....

उसकी आहटों को तकिये तले दबा लूं,
कुछ देर सो लूं ,
वो ख्वाब में आये तो ठीक,
मुझे मालूम है कि,
उसे मालूम है, "दिल की चौखट पर दरवाज़े नहीं होते ....

Monday, December 12, 2011

प्यार ....

प्यार :
गर सच्चा नहीं तो, कभी भी, कहीं भी,  मिल नहीं सकता ,
और गर सच्चा है तो, कभी भी, कहीं भी, छुप नहीं सकता.....

Friday, December 9, 2011

सिर्फ अभिव्यक्ति ही प्रीत का मापदंड रह जाये.....

जब अनुभूति खो जाये और,
सिर्फ अभिव्यक्ति ही प्रीत का मापदंड रह जाये,
समझ लीजिए, फाँसले बढ़ने लगे हैं.....
कच्चे धागों के बल खुलने लगे हैं ,
जब रूह बर्फ में बंधी हो
बहारों के मौसम आँगन से लौट जाते हैं,
दिल की चौखट बस सूनी सूनी... 

Thursday, December 8, 2011

तुम वक्त अलग से चुन लेना .....


तुम वक्त अलग से चुन लेना
मैं सपनों में आ जाऊँगा
बैचैन नयन के आँचल को
एक चैन छुपाकर ला दूंगा,
एक शोर शहर में ऐसा हैं,
मैं नींद चुरा ले जाता हूँ,
एक सत्य ह्रदय में मेरा भी,
मैं गीत तुम्हारे गाता हूँ,
जो बिखरा रहता रस्ते में,
बीन बीन घर लाता हूँ,
चुन अलग हटा कंकर-कांटे
बस फूल बाँट हर्षाता हूँ....