Thursday, December 8, 2011

तुम वक्त अलग से चुन लेना .....


तुम वक्त अलग से चुन लेना
मैं सपनों में आ जाऊँगा
बैचैन नयन के आँचल को
एक चैन छुपाकर ला दूंगा,
एक शोर शहर में ऐसा हैं,
मैं नींद चुरा ले जाता हूँ,
एक सत्य ह्रदय में मेरा भी,
मैं गीत तुम्हारे गाता हूँ,
जो बिखरा रहता रस्ते में,
बीन बीन घर लाता हूँ,
चुन अलग हटा कंकर-कांटे
बस फूल बाँट हर्षाता हूँ....

4 comments:

  1. ह्रदय मैं रहेने वाले
    ह्रदय की बत्तें करते हो
    गीत जो तुम गाते हो
    तुम क्या जानो
    किसी ओर... को छू
    जाते हैं
    किस तरह में छुपालो ...
    ह्रदय में....
    जो फूल तुम ले आते हो
    कैसे बताऊँ ,...
    क्या हाल हैं अब
    नींद नहीं आती है
    वक़्त ... तो माँगा खुदासे
    की हर सुबह हर शाम हो
    बस तुम्हारी पलकों तले
    बस ....
    आ जाओ तुम ..
    इस शोर भरी
    दुनिया से .............

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  2. Kaun Ho Dost Jo is Tarah Inzaar Ka Ahsaas Thame Baithe Ho,
    Bahut faansalon mein gujra hai wakt Imtahaan ka..

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  3. .......कैसे कहूं... कौन हूँ मैं
    गुज़रा हुआ पल हूँ मैं
    वो पल जो लौट कर नहीं आता'
    बस एक याद बनकर
    दिल मैं है समता
    वो पल ...
    वक़्त मैं रुका हुआ वो पल...

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