Friday, December 9, 2011

सिर्फ अभिव्यक्ति ही प्रीत का मापदंड रह जाये.....

जब अनुभूति खो जाये और,
सिर्फ अभिव्यक्ति ही प्रीत का मापदंड रह जाये,
समझ लीजिए, फाँसले बढ़ने लगे हैं.....
कच्चे धागों के बल खुलने लगे हैं ,
जब रूह बर्फ में बंधी हो
बहारों के मौसम आँगन से लौट जाते हैं,
दिल की चौखट बस सूनी सूनी... 

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