यही कि सुंदरता भौतिक रूप-रेखा में नहीं बल्कि औचित्य, युक्तियुक्तता और परिपूर्णता में है। जाहिर है जो सर्वाधिक उपयुक्त है वही सुंदर है। जिस मनुष्य में सभी अंग-उपांग सही अनुपात में हों उसे सौन्दर्यशाली कहा जाता है। जिसके नैन-नक्श सही अनुपात में हों, उस मुखड़े को ही खूबसूरत कहा जाता है। भावनाओं से मिलाप होने से पहले एक रहस्यमयी मञ्जूषा से मुलाकात होती है फिर जितने रहस्य खोल पाएं 'हम' उस पर ही आधारित होते हैं हमारे आने वाले पल और संबंधों का 'सम बंधन ......'
सच्ची प्रीत मतलब केवल ... अंतर्मन की प्रीत संपूर्ण समर्पण 'सम पूर्ण' 'सम अर्पण.........'
सच्ची प्रीत मतलब केवल ... अंतर्मन की प्रीत संपूर्ण समर्पण 'सम पूर्ण' 'सम अर्पण.........'
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